Everything about सोने से पहले यह जरुर सुने




हजरत उमर ने उत्तर दिया, 'यह दान तुमने निष्काम भावना से नहीं किया, बल्कि जो कुछ तुमने दिया है, वह अपना बड़प्पन प्रकट करने और प्रसिद्धि के लिए दिया है। ईश्वर के भय और परोपकार के लिए नहीं दिया। ऐसे दिखावे को उदारता और दान से कोई लाभ नहीं है।"१

"हजरत, आप चिन्ता न कीजिए। मेरा काम दूध की तरह स्वच्छ और बेलग होता है। मैं आपने काम में आपसे ज्यादा होशियार हो गया हूं। भले-बुरे मेहमानों से वास्ता पड़ा है। जिसे जैसा देखता हूं, वैसी ही उसकी सेवा करता हूं।"

"आपकी इन छोटी-छोटी बातों के समझाने से मुझे शर्म आती है।"

पुरुष बड़ी हमदर्दी से इस तरह के उपदेश अपनी औरत को देता रहा। स्त्री ने झुंझलाकर डांटा, "निर्लज्ज! मैं अब तेरी बातों में नही आऊंगी। खाली नसीहत की बातें न कर। तूने कब से सन्तोष करना सीखा है? तूने तो केवल सन्तोष का नाम ही नाम सुना है, जिससे जब मैं रोटी-कपड़े की शिकायत करुं तो तू अशिष्टता और गुस्ताखी का नाम लेकर मेरा मुंह बन्द कर सके। तेरी नसीहत ने मुझे निरुत्तर नहीं किया। हां, ईश्वर की दुहाई सुनने से मैं चुप हो गयी। लेकिन अफसोस है तुझपर कि तूने ईश्चर के नाम को चिड़ीमार का फंदा बना लिया। मैंने तो अपना मन ईश्वर को सौंपा दिया है, ताकि मेरे घावों की जलन से तेरा शरीर अछूता न बचे या तुझको भी मेरी तरह बन्दी (स्त्री) बना दे।" स्त्री ने अपने पति पर इसी तरह के अनेक ताने कसे। मर्द औरत के ताने चुपचाप सुनता रहा।

यह जरा-सा रोटी का टुकड़ा, जो वास्तव में हमारा हिस्सा है, वह भी तू उड़ा लेता है!"

सुनार ने कहा, "मेरी दुकान में झाडू नहीं हैं।"

[इस तरह के शिक्षा ग्रहण करने के योग्य चिह्न सब मनुष्यों की दशा में विद्यमान हैं, परन्तु वे सांसारिक मोह में फंसे रहने के कारण इनपर ध्यान नहीं देते। यह हृदय, जिसमें ईश्वरीय ज्योति का प्रकाश नहीं पहुंचता, नास्तिक की आत्मा की तरह अन्धकारमय है। ऐसे हृदय से तो कब्र ही अच्छी है।]

गृहस्वामी ने कहा, "अरे मूर्ख! मुझे खोज क्या बताता है। मैंने असली चोर को दबा लिया था। तेरी चीख-चिल्लाहट सुनकर उसे छोड़ दिया। अरे बेवकूफ! यह तू क्या बेहूदा बक-वाद करता है। मैं तो लक्ष्य को पहुंच चुका था। भला निशान क्या चीज है!

तुम्हारी कला अधिक प्यारे और अधिक शांत हो... "

जब कौए ने सुना कि हुदहुद को यह आज्ञा दे दी गयी, अर्थात् उसे आदर मिल गया है तो उसे डाह हुई और click here उसने get more info हजरत सुलेमान से निवेदन किया, "हुदहुद ने बिल्कुल झूठ कहा है और गुस्ताखी की है। यह बात शिष्टाचार के खिलाफ है कि बादशाह के आगे ऐसी झूठ बात कही जाये, जो पूरी न की जा सके। अगर सचमुच उसकी निगाह इतनी तेज होती तो मुठ्टी-भर धूल में छिपा हुआ फन्दा क्यों नहीं देख पता, जाल में क्यों फंसता और पिंजरे में क्यों गिरफ्तार होता?

सी०. हेरॉल्ड ब्रुक्स द्वारा लिखित एक निबंध इस बात की ओर इशारा करता है कि शेक्सपियर की रचना रिचर्ड तृतीय[१८८], मार्लो द्वारा लिखित एडवर्ड द्वितीय से प्रभावित है.

[मनष्य को अधिक लाभ का लालच देकर असली भलाई को रोका जा सकता है। इस तरह लाभ के बजाय हानि उठानी पड़ती है।] १

एक दिन अरब की स्त्री ने अपने पति से कहा, "गरबी के कारण हम हर तरह के कष्ट सहन कर रहे हैं। सारा संसार सुखी है, लेकिन हमीं दुखी हैं। खाने के लिए रोटी तक मयस्सर नहीं। आजकल हमारा भोजन गम है या आंसू। दिन की धूप हमारे वस्त्र हैं, रात सोने का बिस्तर हैं, और चांदनी लिहाफ है। चन्द्रमा के गोल चक्कर को चपाती समझकर हमारा हाथ आसमान की तरफ उठ जाता है। हमारी भूख और कंगाली से फकीरों को भी शर्म आती है और अपने-पराये सभी दूर भागते हैं।"

औरत ने कहा, "तुम यह प्रतिज्ञा सच्चे दिल से कर रहे हो या चालाकी से मेरे दिल का भेद ले रहे हो?"

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